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Showing posts from January, 2020

योग अभ्यास

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जागरूकता कार्यक्रम

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विद्यालय सभा

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वन क्लब

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I C T CLASS

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स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा

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स्कूल इंटर्नशिप चरण दो

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कबीरदास

कबीर  या  भगत कबीर  15वीं सदी के  भारतीय  रहस्यवादी कवि और  संत  थे। वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में ज्ञानाश्रयी-निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे। इनकी रचनाओं ने हिन्दी प्रदेश के  भक्ति आंदोलन  को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। उनका लेखन सिखों  के आदि ग्रंथ में भी देखने को मिलता है। वे हिन्दू धर्म व इस्लाम के आलोचक थे। उन्होंने सामाजिक अंधविश्वास की निंदा की और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना की थी। उनके जीवनकाल के दौरान हिन्दू और मुसलमान दोनों ने उन्हें अपने विचार के लिए धमकी दी थी। कबीर पंथ  नामक धार्मिक सम्प्रदाय इनकी शिक्षाओं के अनुयायी हैं।

चित्रा मुद्गल

चित्रा मुद्गल    हिन्दी  की वरिष्ठ कथालेखिका हैं। उन्हें सन 2018 का हिन्दी भाषा का साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया है। उनके उपन्यास ‘आवां’ पर उन्हें वर्ष 2003 में ‘व्यास सम्मान’ मिला था। उनका जीवन किसी रोमांचक प्रेम-कथा से कम नहीं है।  उन्नाव  के  जमींदार  परिवार में जन्मी किसी लड़की के लिए साठ के दशक में अंतरजातीय  प्रेमविवाह  करना आसान काम नहीं था। लेकिन चित्रा जी ने तो शुरू से ही कठिन मार्ग के विकल्प को अपनाया। पिता का आलीशान बंगला छोड़कर 25 रुपए महीने के किराए की खोली में रहना और मजदूर यूनियन के लिए काम करना - चित्रा ने हर चुनौती को हँसते-हँसते स्वीकार किया। १० दिसम्बर १९४४ को जनमी चित्रा मुद्गल की प्रारंभिक शिक्षा पैतृक ग्राम निहाली खेड़ा (जिला उन्नाव, उ.प्र.) से लगे ग्राम भरतीपुर के कन्या पाठशाला में। हायर सेकेंडरी पूना बोर्ड से की और शेष पढ़ाई मुंबई विश्वविद्यालय से। बहुत बाद में स्नातकोत्तर पढ़ाई पत्राचार पाठ्यक्रम के माध्यम से एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय मुंबई से की।  चित्रकला  में गहरी अभिरुचि रखने वाली चि...

सुमित्रानन्दन पन्त

सुमित्रानंदन पंत     हिंदी साहित्य  में  छायावादी युग  के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। इस युग को  जयशंकर प्रसाद ,  महादेवी वर्मा ,  सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'  और  रामकुमार वर्मा  जैसे कवियों का युग कहा जाता है। उनका जन्म कौसानी  बागेश्वर  में हुआ था। झरना, बर्फ, पुष्प, लता, भ्रमर-गुंजन, उषा-किरण, शीतल पवन, तारों की चुनरी ओढ़े गगन से उतरती संध्या ये सब तो सहज रूप से काव्य का उपादान बने। निसर्ग के उपादानों का प्रतीक व बिम्ब के रूप में प्रयोग उनके काव्य की विशेषता रही। उनका व्यक्तित्व भी आकर्षण का केंद्र बिंदु था। गौर वर्ण, सुंदर सौम्य मुखाकृति, लंबे घुंघराले बाल, सुगठित शारीरिक सौष्ठव उन्हें सभी से अलग मुखरित करता था।

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

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सर्वेश्वर दयाल सक्सेना  मूलतः कवि एवं साहित्यकार थे, पर जब उन्होंने  दिनमान  का कार्यभार संभाला तब समकालीन पत्रकारिता के समक्ष उपस्थित चुनौतियों को समझा और सामाजिक चेतना जगाने में अपना अनुकरणीय योगदान दिया। सर्वेश्वर मानते थे कि जिस देश के पास समृद्ध बाल साहित्य नहीं है, उसका भविष्य उज्ज्वल नहीं रह सकता। सर्वेश्वर की यह अग्रगामी सोच उन्हें एक बाल पत्रिका के सम्पादक के नाते प्रतिष्ठित और सम्मानित करती है।

जल संरक्षण एक अनिवार्य आवश्यकता

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संसार के प्रत्येक प्राणी का जीवन आधार जल ही है। शायद ही ऐसा कोई प्राणी हो जिसे जल की आवश्यकता न हो। जल हमें समुद्र, नदियों, तालाबों, झीलों, वर्षा एवं भूजल के माध्यम से प्राप्त होता है। गर्म हवाओं के चलने से समुद्र, नदियों, झीलों, तालाबों का जल वाष्पित होकर ठंडे स्थानों की ओर चलता है जहाँ पर न्यून तापमान के कारण संघनित होकर वर्षा के रूप में पृथ्वी पर गिरता है। जबकि पहाड़ों पर और भी कम तापमान होने के कारण जल बर्फ के रूप में जम जाता है जोकि गर्मी के दिनों में पिघलकर नदियों में चला जाता है। मानव अपने स्वास्थ्य, सुविधा, दिखावा व विलासिता को दिखाने के लिये अमूल्य जल की बर्बादी करने से नहीं चूकता है। पानी का इस्तेमाल करते हुए हम पानी की बचत के बारे में जरा भी नहीं सोचते हैं। परिणामस्वरूप अधिकांश जगहों पर जल संकट की स्थिति पैदा हो चुकी है। यदि हम अपनी आदतों में थोड़ा-सा भी बदलाव कर लें तो पानी की बर्बादी को रोका जा सकता है। बस आवश्यकता है दृढ़संकल्प करने की तथा उस पर गंभीरता से अमल करने की, क्योंकि जल है तो हमारा भविष्य है। इसलिए यदि हम पानी की बचत करते हैं तो यह भी जल संग्रह का ही एक रूप है। ...

देवनागरी

देवनागरी  एक भारतीय  लिपि  है जिसमें अनेक  भारतीय   भाषाएँ  तथा कई विदेशी भाषाएँ लिखी जाती हैं। यह बायें से दायें लिखी जाती है। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे 'शिरोरेखा' कहते हैं।  संस्कृत ,  पालि ,  हिंदी ,  मराठी ,  कोंकणी ,  सिंधी , [[कश्मीरी [[हरियाणवी]  डोगरी ,  खस ,  नेपाल भाषा  (तथा अन्य नेपाली भाषाएँ),  तामाङ भाषा ,  गढ़वाली ,  बोडो ,  अंगिका ,  मगही ,  भोजपुरी ,  नागपुरी ,  मैथिली ,  संथाली , राजस्थानी आदि भाषाएँ और स्थानीय बोलियाँ भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में  गुजराती ,  पंजाबी ,  बिष्णुपुरिया मणिपुरी ,  रोमानी  और  उर्दू  भाषाएँ भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। देवनागरी विश्व में सर्वाधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक है।